नरेंद्र मोदी की दहाड़ से ‘उपद्रवी’ हुए शांत

उत्तराखंड में साल 2013 की शुरुआत भाजपा में भारी उठापटक के साथ हुई। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर दो पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी व भगत सिंह कोश्यारी आमने सामने थे।

लेकिन साल जाते जाते पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र भाई मोदी की पंद्रह दिसंबर को ऐतिहासिक रैली ने भाजपा में उत्साह भर दिया।

विधायकों में हस्ताक्षर अभियान शुरु हुआ
लंबी जद्दोजहद के बाद नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी हुई तो दागियों को जिम्मेदारी देने के खिलाफ विधायकों में हस्ताक्षर अभियान शुरू हो गया। अंदरुनी लड़ाई ने छीछालेदार कराई लेकिन निकाय चुनाव में अपेक्षित सफलता ने कुछ राह भी दिखाई।

राष्ट्रीय टीम गठित हुई तो प्रदेश का कोटा कम कर दिया गया, एकमात्र त्रिवेंद्र सिंह रावत राष्ट्रीय सचिव के रूप में टीम राजनाथ में जगह मिली। जनवरी 2013 में जितनी ठंड़ थीं भाजपा में उससे ज्यादा गर्मी का अहसास था।

प्रदेश अध्यक्ष के लिए तीरथ सिंह रावत व त्रिवेंद्र सिंह रावत आमने सामने थे। नामांकन हुए लेकिन चुनाव नहीं हुआ। रार इतनी बढ़ी कि केंद्रीय नेतृत्व को चुनाव स्थगित करना पड़ा।

नौ फरवरी 2013 को तीरथ सिंह रावत को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की घोषणा दिल्ली में पार्टी महासचिव अनंत कुमार ने की।

कुछ दागियों को मिली जिम्मेदारी
कुछ ही दिन बाद जब प्रदेश कमेटी गठित हुई तो कुछ दागियों को मिली जिम्मेदारी के खिलाफ पार्टी विधायकों ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह को पत्र दिया गया।

इसी बीच राजनाथ की टीम गठित हुई और प्रदेश से अकेले त्रिवेंद्र सिंह रावत को संगठन में राष्ट्रीय सचिव बनने का सौभाग्य मिला। आला कमान ने उन्हें यूपी का सह प्रभारी बनाकर आगे बढ़ाया।

उठापटक चल ही रही थीं कि निकाय चुनाव आ गए। भाजपा ने छह में से चार नगर निगमों में मेयर की सीट जीतकर कांग्रेस को चुनौती दी। यह चुनाव पार्टी के लिए ऑक्सीजन की तरह रहे।

सितम्बर में आयोजित विधानसभा के सत्र में सदन केभीतर ही पूर्व सीएम निशंक व नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट के बीच मोर्चा संभालने की जो होड़ दिखाई दी उससे पार्टी के भीतर की स्थिति काफी असहज हुई।

कई तरह के मतभेद सामने आए
रामनगर में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी कई तरह के मतभेद सामने आए। लेकिन पार्टी ने दैवी आपदा के मुद्दे पर सरकार को कई बार घेरा। इसके बाद सरकारी चीनी मिलों को पीपीपी मोड में दिए जाने के सरकार के फैसले के पलटवाने में भी भाजपा की मुख्य भूमिका रही।

साल जाते जाते नरेंद्र भाई मोदी की पंद्रह दिसंबर को हुई रैली ने कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह का संचार भी किया जो नए साल में ऊर्जा देने के लिए काफी है।

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